Monday, 25 May 2020

शांति:एक अत्यावश्यक मानवीय मूल्य के रूप में (Peace as a most needed human ethic)


गांव,गली और शहरों में जो अब कोलाहल भारी है
ध्वनि प्रदूषण से जनता परेशान अब सारी है
आस्तिकता ना खोते,आपस में बैर कहाँ होता
मानव को मानव का डर यह जो खैर कहाँ होता
जीवन के हर पहलू में तुम लाना चाहते हो क्रांति
फिर मन्दिर,मस्जिद क्यों भटकते पाने को तुम शांति
साम्प्रदायिकता के ज़हर को तुम क्यों बच्चों को पिलाते हो
जातिवाद की बाटी तुम क्यों बच्चों को खिलाते हो
गर्भ में हम नहीं सीखते सबकुछ सिखाया जाता है
उज्ज्वलता पर पर्दा करके दाग दिखाया जाता है
सफल हो या असफल,प्रयास हमारे भरसक हों
शांतिप्रिय मूल्य ही जीवन के मार्गदर्शक हों
परमाणु हथियार ना हों,हिरोशिमा से घाव ना हों
बांटें आपसी भाईचारा,सीमा पर तनाव ना हों
मन से कचरे निकलेंगे,तभी शांति आएगी
इन मुरझाये चेहरों पर लगता है कांति आएगी
वैमनस्य के तूफान से अब धरती की रक्षा हो
पुस्तकों के साथ में अब जरूरी शांति शिक्षा हो
विश्व में अस्तित्व में ना आतंकवाद से दानव हो
स्वार्थों की होली जला हम अंतर्राष्ट्रीय मानव हों
सबके साझा यत्नों से स्थापित हो अब शांति
किसी के मन में ना रहे,अब कोई भी भ्रांति

2 comments:

  1. ये लालच भरी निगाहे न होती
    परिधि अपनी बढ़ाने की भावना मन में ना होती
    कितना सुखद होता ये मानव जीवन जब
    मन में हमारे शांति होती

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