स्वच्छता के सैनिकों की स्वेच्छ भर्ती आई है
साफ़-सफाई का संदेशा,भारतीय धरती लायी है
दूध-सी धारा नदियों की अब कितनी मैली हो गई
जगह-जगह ही प्लास्टिक कचरा और थैली हो गई
धरती माँ की आंखों से आंसू की धारा निकल रही
गंगा मैया कचरे से जो,अब तक होती विकल रही
समझ नहीं आया अब तक कचरे से कैसी यारी है
मच्छर तरह तरह के काटें,फैलती बीमारी है
मन से कचरा निकाल लीजिए ,तब ही आगे की बात करें
भैंस के आगे बीन बजाकर वरना क्यों काली रात करें
कम सामान खरीदिए और कम ही तो उपभोग करें
पुनः चक्रण करने के संग बार-बार प्रयोग करें
लोटा लेकर जाने की अब छोड़ो रीति पुरानी है
निर्मल भारत के सृजन की हमने मन में ठानी है
घर के कचरे का निष्कासन,सड़कों पर करना छोड़ो अब
गंदे पानी को शुद्धिकरण से अवश्य नाता जोड़ो अब
कचरापात्र के महत्व से जन-जन को जागरूक करना है
नगर निगम के वाहनों में अब रोजाना कचरा भरना है
सरकारों के आदेशों का हम सब पालन करते हों
गंदगी समर्थकों पर जुर्माने की शर्तें हों
आधुनिक मानव ने आधुनिकता का ऐसा जाल रचा
ReplyDeleteअपनी मर्यादा भुलकर अपने विनाश का मार्ग रचा
जी बिल्कुल,आपकी बात सत्य है
DeleteGjjjb ladle अती सूंदर लाइन भाई जी
ReplyDeleteशुक्रिया जी
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