अंग्रेजों से उपहार में सहर्ष मिली ना आजादी
एक,दो की बात नहीं कई वर्ष मिली ना आजादी
रक्त पिपासु गोरों ने जो भीषण युद्ध करवाया था
फूट डालकर भारतीयों को आपस में मरवाया था
मंगल पांडे से वीर सिपाही,इस देश के भक्त हुए
क्रांति की जब उठी ज्वाला गोरे भी तब सक्त हुए
वीरता की अमिट कहानी अब भी झाँसी बता रही
मेरे मन को सबसे ज्यादा ,तीनों की फांसी सता रही
सत्तावन में चूक हुई तो एक सदी तक मार किया
जालिम अंग्रेजी हुकूमत ने कितना कुछ प्रहार किया
भीमराव बाबा ने फिर हरिजनों का उद्धार किया
शिक्षा दिलवाने हेतु खुद से भी ज्यादा प्यार किया
चले गए लाला जी,उन्होंने खूब लाठियां खाई थी
कील कफ़न में होंगी ये चोटें,इतनी बात बताई थी
निर्दोष भारतीय यूँ कभी ना अब सुलाए जायेंगे
हो अटकलें कितनी भी,ना बापू भुलाए जायेंगे
अंत समय एक साथ जो हिन्दुस्तान ये सारा आया
सब कुछ चला गया हाथों से,करो या मरो का नारा आया
गैरों में दम कहाँ थी यहाँ तो अपनों का अंदेशा था
भारत वीरों की धरती है,साफ़ ये सन्देशा था
इतना सब कुछ होने पर कश्मीर का मुद्दा छोड़ गए
गोरे तो फिर चले गए ,भारत टुकड़ों में तोड़ गए
आजादी के दिवाने आज भी है हिन्दूस्तान में
ReplyDeleteआजादी हमको मिली नहीं आज़ादी अधुरी हैं
जय मॉ भारती
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