Tuesday, 19 May 2020

भारत की खुशहाली को तो पिज्जा,बर्गर ने मारा


दुनिया बेबस बैठी है,कोई बचा नहीं अब चारा
भारत की खुशहाली को तो पिज्जा,बर्गर ने मारा
हष्ट-पुष्ट शरीर अब क्यों धक्के खाकर गिरता है ?
स्वास्थ्य की खोज में क्यों बाजारों में फिरता है ?
गौ माता के दूध-दही की रही न भारत पर ममता
तभी तो नदी किनारे बैठी,प्रतिरक्षा की क्षमता
चटपटे स्वाद के मानव की जीभ अधीन हुई
मृदुल जीवनशैली भी भारत की,लगता है नमकीन हुई
खुशहाली की घड़ी अब मानों भारत से चली गई
पाचन तंत्र की हत्या करती,ये सारी चीजें तली गई
खानपान के संबंध में जो नियमितता का ज्ञान नहीं
मन की इच्छा पूरी करते,गुणवत्ता का ध्यान नहीं
निरोगी काया का सूत्र लगता है अब भूल गए
आसमान और धरती के मध्य क्षेत्र में झूल गए
आरोग्यता की प्रतिज्ञा, अब मन-मन्दिर हठ गई
आधुनिकता के पुजारियों,औसत आयु क्यों घट गई
कंद-मूल-फल से नाता अब क्यों भारत ने तोड़ा है
बेसनी पकवानों से अब त्वरित नाता जोड़ा है
यही कमी है भारत की तुम छानकर भी छान लो
नष्ट जीवन हो रहा है ,जल्दी से पहचान लो

9 comments:

  1. बड़े दुख से यह स्वीकार करना पड‌ रहा है की हम सब इस राह पर बड़े त्वरित वेग से बढ़ रहे हैं

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  2. प्रिय पाठक
    आपके सम्मान और प्यार के लिए धन्यवाद।
    हमारे ब्लॉग शिक्षा परिदर्शन को निरन्तर विजिट करते रहें।

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  3. अतिउतम कवि राजेन्द्र जी

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    1. शुक्रिया,आपकी प्रतिपुष्टि हमें सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है।
      ऐसी ही नवीनतम रचनाओं को को पढ़ने के लिए हमारे ब्लॉग पर निरन्तर आते रहें।

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  4. शुक्रिया बंधु

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  5. शुक्रिया जी

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