पैर पराये मांगकर फिर कितनी दूर चलोगे तुम
आत्मनिर्भर ना बने तो खुद से भी जलोगे तुम
अच्छा भोजन करना है,गेहूँ के दाने भुनने क्यों
मानव जीवन पाकर भी दुनिया के ताने सुनने क्यों
हाथ फैलाने से नौका सागर पार करेगी क्या
हर मौके पर आंखें आंसू बारम्बार भरेगी क्या
अमरबेल बनने से क्या जो दूसरों का सहारा ले
ऐसी करनी कीजिए जो दुनिया पता तुम्हारा ले
चमत्कार को मनुज सदा देता आया सलामी है
जल्दी से क्यों जान ना लेते,कहाँ तुम्हारी खामी है
बाहर से मीठी दिखती दुनिया,मन से बिल्कुल खारी है
कलयुग में जनसंख्या सारी,पैसों की पुजारी है
अपने ही दे जाते धोखा,गैरों पर भरोसा क्यों
आलस्य के अंधभक्त,दु:ख में प्रभु को कोसा क्यों
शीतल होकर भी चन्द्रमा,सूरज से तो महान नहीं
प्रकाश पराया देने से क्या,खुद की तो कोई शान नहीं
स्वर्ण पथ नहीं है जीवन,ये कांटों की सेज है
वही जीता है दुनिया से जिसमें अपना तेज़ है
सुनने में विश्वास ना करते,करके तुम्हें दिखाना है
बनता वही सिकन्दर,जिसके पास ना कोई बहाना है
आत्मनिर्भर ना बने तो खुद से भी जलोगे तुम
अच्छा भोजन करना है,गेहूँ के दाने भुनने क्यों
मानव जीवन पाकर भी दुनिया के ताने सुनने क्यों
हाथ फैलाने से नौका सागर पार करेगी क्या
हर मौके पर आंखें आंसू बारम्बार भरेगी क्या
अमरबेल बनने से क्या जो दूसरों का सहारा ले
ऐसी करनी कीजिए जो दुनिया पता तुम्हारा ले
चमत्कार को मनुज सदा देता आया सलामी है
जल्दी से क्यों जान ना लेते,कहाँ तुम्हारी खामी है
बाहर से मीठी दिखती दुनिया,मन से बिल्कुल खारी है
कलयुग में जनसंख्या सारी,पैसों की पुजारी है
अपने ही दे जाते धोखा,गैरों पर भरोसा क्यों
आलस्य के अंधभक्त,दु:ख में प्रभु को कोसा क्यों
शीतल होकर भी चन्द्रमा,सूरज से तो महान नहीं
प्रकाश पराया देने से क्या,खुद की तो कोई शान नहीं
स्वर्ण पथ नहीं है जीवन,ये कांटों की सेज है
वही जीता है दुनिया से जिसमें अपना तेज़ है
सुनने में विश्वास ना करते,करके तुम्हें दिखाना है
बनता वही सिकन्दर,जिसके पास ना कोई बहाना है
बिल्कुल भाई
ReplyDeleteवर्तमान समय की परिस्थितियों का सही वर्णन
शुक्रिया,हमारे साथ निरन्तर बने रहें
Deleteजय हिन्द,जय भारत
राजेन्द्र भाई वर्तमान की स्थिति में आपकी यह कविता अद्भुत है
ReplyDelete💘 से आभार,शिक्षा परिदर्शन को अपना सहयोग देते रहें।
Deleteजय हिंद,जय भारत
U r best writer bhai
ReplyDeleteNo one is best but thanks for your appreciation,I am just a drop of an ocean.
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