हाइजेनबर्ग ने इलेक्ट्रान की स्थिति पता करने के लिए एक समीकरण दी ,जो इस प्रकार है
∆x.∆p ≥ h÷4π
जहाँ ∆x= इलेक्ट्रान की स्थिति मे अनिश्चितता या वह जगह जहाँ इलेक्ट्रान उपस्थित हो सकता है
∆p= इलेक्ट्रान का संवेग (M∆v)
h= प्लान्क नियतांक 6.6×10^-34
यदि हम माने की इलेक्ट्रान नाभिक के अंदर स्थित है तो इलेक्ट्रान नाभिक के व्यास जितने छेत्रफल में ही स्थित हो सकता है
अतः ∆x.m∆v ≥ h÷4π
∆v≥ h÷4πM∆x.
यहाँ इलेक्ट्रान के लिए
M= 9.1×10^-31kg
∆x=नाभिक का व्यास= 1×10^-15m
∆v≥ 6.6×10^-34÷{4×3.14×9.1×10^-31×10^-15}
∆v≥ 5.77×10^10m/s
अर्थात यदि इलेक्ट्रान नाभिक के अंदर जाता है तो वह
5.77×10^10m/s से गति करेगा जो कि प्रकाश की चाल (3×10^8) से भी ज्यादा है जो कि आपेक्षिकता के सिद्धांत से असंभव है इसी
कारण से इलेक्ट्रान नाभिक के अंदर उपस्थित नही रह सकता।
shandaar
ReplyDelete