नमस्कार
Blogger की दुनिया का अभिनंदन करता हूँ।
21वीं सदी में भले ही हम अपनी वैज्ञानिक प्रगति का हवाला देकर अपने आप को गौरवान्वित महसूस करते हों लेकिन आज की भारतीय शिक्षा प्रणाली हमारे इस द्वम्भ प्रदर्शन की झूठी शान पर प्रश्न चिह्न लगाती है ।
आज की भारतीय शिक्षा प्रणाली शिक्षित बेरोजगार तैयार कर रही है। नैतिक शिक्षा की शिक्षा का तो माना आज की भारतीय शिक्षा से नाता ही नहीं है।आज देश में ऊँचे पदों पर आसीन अफसर भी रिश्वत प्रेमी बन चुके हैं।यह दर्शाता है कि शिक्षा प्रणाली की जड़ें अवश्य ही असुरक्षित हैं। तभी तो आज की भारतीय शिक्षा प्रणाली का यह वृक्ष प्रतिस्पर्धा की आँधी को झेलने में असमर्थ है।
आज के विद्यार्थी विषयवस्तु की केवल सैद्धांतिक समझ ही रखते हैं बाकी प्रायोगिक परीक्षाओं से उनका नाता अपेक्षाकृत कमजोर जान पड़ता है।
आज की शिक्षा प्रणाली प्रमाण पत्र प्राप्त करने का साधन मात्र बनकर रह गई है। आज की भारतीय शिक्षा प्रणाली का गंतव्य सरकारी नौकरी प्राप्त करने का साधन मात्र बनकर रह गया है। आज भारत के शिक्षित युवक भी बेरोजगारों की भेड़चाल में शामिल होकर खाक छानते फिरते हैं।
वे अपराधियों की पंक्ति में खड़े होकर एक दूसरे की टाँग खींचते हैं।
भारतीय शिक्षा प्रणाली की कमियाँ
1-भारत में शिक्षा विभाग तो हैं लेकिन वे सिर्फ परीक्षाओं के आयोजन पर ही ध्यान देते हैं। समय समय पर शिक्षा का विश्लेषण नहीं किया जाता है।
2-जब पाठ्यक्रम का निर्माण किया जाता है तो इसमें कुछ चुनिंदा लोग ही शामिल होते हैं। यहाँ तक कि देशभर में शिक्षा के संवाहकों का काम करने वाले शिक्षकों को भी पाठ्यक्रम निर्माण में शामिल मुश्किल से ही किया जाता है।
3-हमारा पाठ्यक्रम शिक्षा के सैद्धांतिक पक्ष पर प्रायोगिक पक्ष की अपेक्षा अधिक प्रकाश डालता है।
4-हमारे अधिकांश शिक्षक विशेषतः राजकीय शिक्षण संस्थानों के शिक्षक अपनी भूमिका का निर्वहन कर्तव्यनिष्ठता पूर्वक नहीं करते।
5-शिक्षा को व्यावसायिक रूप दे दिया गया है।
Blogger की दुनिया का धन्यवाद
जय हिन्द जय भारत
Blogger की दुनिया का अभिनंदन करता हूँ।
21वीं सदी में भले ही हम अपनी वैज्ञानिक प्रगति का हवाला देकर अपने आप को गौरवान्वित महसूस करते हों लेकिन आज की भारतीय शिक्षा प्रणाली हमारे इस द्वम्भ प्रदर्शन की झूठी शान पर प्रश्न चिह्न लगाती है ।
आज की भारतीय शिक्षा प्रणाली शिक्षित बेरोजगार तैयार कर रही है। नैतिक शिक्षा की शिक्षा का तो माना आज की भारतीय शिक्षा से नाता ही नहीं है।आज देश में ऊँचे पदों पर आसीन अफसर भी रिश्वत प्रेमी बन चुके हैं।यह दर्शाता है कि शिक्षा प्रणाली की जड़ें अवश्य ही असुरक्षित हैं। तभी तो आज की भारतीय शिक्षा प्रणाली का यह वृक्ष प्रतिस्पर्धा की आँधी को झेलने में असमर्थ है।
आज के विद्यार्थी विषयवस्तु की केवल सैद्धांतिक समझ ही रखते हैं बाकी प्रायोगिक परीक्षाओं से उनका नाता अपेक्षाकृत कमजोर जान पड़ता है।
आज की शिक्षा प्रणाली प्रमाण पत्र प्राप्त करने का साधन मात्र बनकर रह गई है। आज की भारतीय शिक्षा प्रणाली का गंतव्य सरकारी नौकरी प्राप्त करने का साधन मात्र बनकर रह गया है। आज भारत के शिक्षित युवक भी बेरोजगारों की भेड़चाल में शामिल होकर खाक छानते फिरते हैं।
वे अपराधियों की पंक्ति में खड़े होकर एक दूसरे की टाँग खींचते हैं।
भारतीय शिक्षा प्रणाली की कमियाँ
1-भारत में शिक्षा विभाग तो हैं लेकिन वे सिर्फ परीक्षाओं के आयोजन पर ही ध्यान देते हैं। समय समय पर शिक्षा का विश्लेषण नहीं किया जाता है।
2-जब पाठ्यक्रम का निर्माण किया जाता है तो इसमें कुछ चुनिंदा लोग ही शामिल होते हैं। यहाँ तक कि देशभर में शिक्षा के संवाहकों का काम करने वाले शिक्षकों को भी पाठ्यक्रम निर्माण में शामिल मुश्किल से ही किया जाता है।
3-हमारा पाठ्यक्रम शिक्षा के सैद्धांतिक पक्ष पर प्रायोगिक पक्ष की अपेक्षा अधिक प्रकाश डालता है।
4-हमारे अधिकांश शिक्षक विशेषतः राजकीय शिक्षण संस्थानों के शिक्षक अपनी भूमिका का निर्वहन कर्तव्यनिष्ठता पूर्वक नहीं करते।
5-शिक्षा को व्यावसायिक रूप दे दिया गया है।
Blogger की दुनिया का धन्यवाद
जय हिन्द जय भारत
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