किसी वस्तु में निहित किसी गुण की मात्रा को सूक्ष्मता से ज्ञात करना मापन है। मापन प्राय: एक विमीय व स्थायी होता है और यह मूल्यांकन या मूल्यकरण को आधार प्रदान करता है। मूल्याकंन एक व्यापक प्रत्यय है जो किसी वस्तु में निहित गुणों की मात्रा के आधार पर उसकी वांछनीयता की श्रेणी का निर्धारण करता है जो समय परिस्थिति तथा आवश्यकता के अनुसार परिवर्तित होती रहती है। परीक्षा का अर्थ है परि तथा इक्ष अर्थात चारों ओर से देखना। इसमें किसी क्षेत्र विशेष में छात्रों के ज्ञान के स्तर का पता लगाना। परीक्षाएं विषय वस्तु के सन्दर्भ में छात्रों के ज्ञान का स्तर मापती हैं। जबकि मूल्यांकन इसके अतिरिक्त ज्ञान की सार्थकता का निर्धारण करता है और इसका सम्बन्ध छात्रों के सम्पूर्ण व्यक्तित्व से होता है। परीक्षाएं अल्पकालिक होती हैं जबकि मूल्यांकन एक सतत् प्रक्रिया है। परीक्षा के आधार पर छात्रों को विभिé विषयों में अंक प्रदान करना मापन है जबकि अंकों के आधार पर प्रथम, द्वितीय, तश्तीय या सम्मानजनक श्रेणी प्रदान करना मूल्यांकन है। मूल्यकरण तथा मूल्यांकन दोनों ही मूल्य निर्धारण से सम्बन्धित हैं।
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