Saturday, 10 February 2018

शिक्षा के उद्देश्य

उद्देश्य का अर्थ - :

 
उद्देश्य एक पूर्वदर्शित लक्ष्य है जो किसी क्रिया को संचालित करता है अथवा व्यवहार को प्रेरित करता है | यदि लक्ष्य निश्चित तथा स्पष्ट होता है तो व्यक्ति की दिशा उस समय तक उत्साहपूर्वक चलती रहती है, जब तक वह उस लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर लेता | जैसे-जैसे लक्ष्यों के निकट आता जाता है जब व्यक्ति अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है | इस लक्ष्य को प्राप्त करने को ही उद्देश्य की प्राप्ति कहतें हैं | संक्षेप में उद्देश्य की पूर्वदर्शित लक्ष्य है जिसको प्राप्त करने के लिए व्यक्ति प्रसन्नतापूर्वक उत्साह के साथ चिंतनशील रहते हुए क्रियाशील होता है |

उद्देश्य का महत्व - :

मानव जीवन के प्रत्येक पक्ष तथा दैनिक जीवन की प्रत्येक क्रिया को सफल बनाने के उदेश्य का विशेष महत्व होता है | बिना उद्देश्य के हम जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफल नहीं हो सकते | शिक्षा के क्षेत्र मे भी यही बात है | इसका मात्र एक कारण यह है की प्राकृतिक बालक तथा प्रगतिशील एवं विकसित समाज की आवश्यकताओं तथा आदर्शों के बीच एक गहरी खाई होती है इस खाई को पाटने के लिये केवल शिक्षा ही एक ऐसा साधन है जो किसी उद्देश्य के अनुसार समाज के बदलती हुई आवश्यकताओं तथा आदर्शों को दृष्टि में रखते हुए बालक की मूल प्रवृत्तियों का विकास इस प्रकार से कर सकते हैं की व्यक्ति तथा समाज दोनों ही विकसित होते रहें | इस दृष्टि से नर्सरी, प्राईमरी , माध्यमिक तथा उच्च स्तरों एवं सामान्य व्यवसायिक एवं तकनीकी तथा प्रौढ़ , आदि सभी प्रकार की शिक्षा के उदेश्य अलग-अलग और स्पष्ट होना चाहिये।

उद्देश्य की आवश्यकता - :

जब व्यक्ति को किसी उद्देश्य का स्पष्ट ज्ञान होता है तो उसके मन में दृढ़ता तथा आत्मबल जागृत हो जाता है | इससे वह एकाग्र होकर अपने कार्यों को पुरे उत्साह से करने लगता है | यही नहीं, उदेश्य हमें शिक्षण-पद्धतियों के प्रयोग करने, साधनों का चयन करने, उचित पाठ्यक्रम की रचना करने तथा परिस्थितियों के अनुसार शिक्षा की व्यवस्था करने में भी सहायता प्रदान करता है | इससे व्यक्ति तथा समाज दोनों विकास की ओर अग्रसर होते रहते हैं | जिस शिक्षा का कोई उद्देश्य नहीं होता वह व्यर्थ है | ऐसी उद्देश्यविहीन शिक्षा को प्राप्त करके बालकों में उदासीनता उत्पन्न की जाती है | परिणामस्वरूप उन्हें अपने किये हुए कार्यों में सफलता नहीं मिल पाती जिससे कार्य को आरम्भ करने से पूर्व बालक तथा शिक्षक दोनों को शिक्षा के उद्देश्य अथवा उद्देश्यों का स्पष्ट ज्ञान होना परम आवश्यक है | उद्देश्य के ज्ञान के बिना शिक्षक उस नाविक के समान होता है जिसे अपने लक्ष्य का ज्ञान नहीं तथा उसके विधार्थी उस पतवार-विहीन नौका का समान है जो समुद्र की लहरों के थपेड़े खाती हुई तट की ओर बढ़ती जा रही है

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