शिक्षा एक सोद्देश्य मानव निर्माण की प्रक्रिया है। इसके विभिé पक्षों पर सतत् निगरानी आवश्यक होती है। किसी भी स्तर पर एक छोटी सी चूक भयावह परिणाम प्रस्तुत कर सकती है। अत: इससे परोक्ष या अपरोक्ष रूप से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति-छात्र, अध्यापक, अभिभावक, समाज तथा प्रशासक की दृष्टि से मापन तथा मूल्यांकन का महत्व रहता है। यह छात्रों को अपनी प्रगति की जानकारी तो देता ही है साथ ही उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा तथा आत्मविश्वास जागश्त भी करता है। अध्यापकों को शिक्षण हेतु उपयुक्त प्रविष्टिा के चुनाव में, शिक्षण विधि की सफलता जानने में, उपयुक्त परीक्षा प्रणाली विकसित करने में मापन तथा मूल्यांकन का विशेष महत्व होता है। अभिभावक अपने बालकों हेतु विद्यालय, पाठ्यक्रम, भावी दिशा तय करने में मापन व मूल्यांकन का सहारा लेते हैं। शैक्षिक नीतियों में संशोधन, शैक्षिक वित्त एवं प्रशासनिक व्यवस्था के निर्धारण में शैक्षिक प्रशासक मापन व मूल्यांकन का सहारा लेते हैं। समाज तथा राष्ट्र का तो निर्माण ही शिक्षा की गुणवत्ता पर निर्भर करता है। अत: कोर्इ भी राष्ट्र अपनी शिक्षा व्यवस्था से किसी भी प्रकार समझौता नहीं कर सकता है। सदैव सजग रूप से इस पर नियंत्रण रखता है। अत: मापन व मूल्यांकन का महत्व शिक्षा व्यवस्था से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति के लिए है जिसे निम्नवत् बिन्दुवार व्यक्त किया जा सकता है-
शैक्षिक नीतियों के निर्धारण में मापन व मूल्यांकन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
शिक्षा के उद्देश्य निर्धारित करने में तथा उद्देश्य प्राप्ति की सीमा ज्ञात करने में यह स्पष्ट योगदान करता है।
मापन तथा मूल्यांकन शिक्षक की प्रभावशीलता इंगित करता है।
यह छात्रों को अध्ययन हेतु प्रोत्साहित करता है।
यह पाठ्यक्रम, शिक्षण विधि, सहायक सामग्री तथा मूल्यांकन विधि में सुधार हेतु आधार स्पष्ट करता है।
कक्षा शिक्षण को प्रभावशाली तथा जीवन्त बनाने हेतु यह अध्यापकों को निर्देशित करता है।
यह छात्रों को उनकी रूचियों तथा अभिक्षमताओं की पहचान कराकर शैक्षिक तथा व्यावसायिक निर्देशन प्रदान करता है।
शिक्षा में चल रहे विभिन्न नवाचारों की उपयोगिता ज्ञात करने में तथा नवीन प्रविधियों की खोज में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
शैक्षिक नीतियों के निर्धारण में मापन व मूल्यांकन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
शिक्षा के उद्देश्य निर्धारित करने में तथा उद्देश्य प्राप्ति की सीमा ज्ञात करने में यह स्पष्ट योगदान करता है।
मापन तथा मूल्यांकन शिक्षक की प्रभावशीलता इंगित करता है।
यह छात्रों को अध्ययन हेतु प्रोत्साहित करता है।
यह पाठ्यक्रम, शिक्षण विधि, सहायक सामग्री तथा मूल्यांकन विधि में सुधार हेतु आधार स्पष्ट करता है।
कक्षा शिक्षण को प्रभावशाली तथा जीवन्त बनाने हेतु यह अध्यापकों को निर्देशित करता है।
यह छात्रों को उनकी रूचियों तथा अभिक्षमताओं की पहचान कराकर शैक्षिक तथा व्यावसायिक निर्देशन प्रदान करता है।
शिक्षा में चल रहे विभिन्न नवाचारों की उपयोगिता ज्ञात करने में तथा नवीन प्रविधियों की खोज में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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