नमस्कार ब्लॉगर परिवार
🇮🇳🇮🇳🇮🇳13 अप्रैल 1919 को ब्रिटिश सरकार द्वारा अंजाम दिए गए एक घृणित कृत्य जलियांवाला बाग हत्याकांड की 100वीं बरसी पर मैं भारत मां के सभी शहीद वीर और वीरांगनाओं को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं इस हत्याकांड के संदर्भ में मेरी कुछ मौलिक पंक्तियां इस प्रकार प्रस्तुत है-
इतिहास कहता है कि वार शनिवार था
सुना तो यूं भी जाता है कि बैसाखी का त्यौहार था
नहीं थे तैयार भारतीय रॉलेट एक्ट को सहने को
सो हो गए इकट्ठे मन की बातें कहने को
उस काले दिन हजारों भगत सिंह, सुभाष और गांधी मारे गए
निहत्थे निर्दोष मौत के घाट उतारे गए
अंग्रेजी हुकूमत स्वतंत्रता संग्राम पर गहरी चोट देना चाहता था
या यूं कहो कि आजादी की हुंकार का गला घोट देना चाहता था
दिया आदेश सेना को उस जालिम जनरल डायर ने
तबाही मचा दी उस भेडिए कायर ने
एक तरफ कुआं था तो दूसरी तरफ खाई थी
उस भेड़िए की वजह से शांत शेरों की कयामत आई थी
गुरुदेव ने फिर नाइटहुड छोड़ दिया
इस घृणित कृत्य ने विरोध की दहकती ज्वाला को नया मोड़ दिया
ऊधम सिंह से वीर ने कसम माँ भारती की खायी थी
फिर उस हत्यारे को कैक्सटन हॉल में मौत की राह पकड़ाई थी
महसूस करो इतिहास की उन करुणामयी चित्कारों को
नमन करो भारत माँ के उन प्यारों को, भारत मांँ के उन प्यारों को
शांति और चैन पर मैं अमन करता हूँ
सौ वर्ष बीत गए उस मौन शहादत को मैं राजेन्द्र शत् शत् नमन करता हूँ
नमन करता हूँ शहादत की संध्या आरती को
नमन भारतीय वीर- वीरांगनाओं को और नमन मां भारती को
🇮🇳🇮🇳जय हिंद जय भारत जय भारतीय शहीद🇮🇳🇮🇳
धन्यवाद ब्लॉगर की दुनिया
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