नमस्कार ब्लॉगर परिवार
विश्व मातृत्व दिवस पर मां के लिए मेरी कुछ पंक्तियां अग्र अनुसार प्रस्तुत हैं-
मां से ही हम सब का संसार शुरू होता है
गुरु होती है मां और मां का स्थान गुरु होता है
अमरबेल(दूसरों पर आश्रित)से वृक्ष बना देती है मां
नौसिखिया को दक्ष बना देती है मां
आज तक तूने की कोई मनमानी नहीं
सच्चे प्रेम में मां तेरा कोई सानी नहीं
तेरी महिमा का बखान करूं तो इतने पेज कहां है
तुझसे बड़ा बन सकू इतना तेज(साहस) कहां है
संतान के आंसू बचाने के लिए मां आंसुओं का घूंट पी लेती है
उनकी (संतान) नींद के लिए मां बिना नींद जी लेती है
बचपन में सूखे में सुलाती है हमें और गीले में उसे सोना पड़ता है
दुर्भाग्य है इस देश का जो कभी बेटे के लिए रोने वाली मां को बुढ़ापे में बेटे की वजह से रोना पड़ता है
तेरे आंचल सा सुनहरा उपवन कहां है
मां बिन मेरा अस्तित्व कहां है
लाख-लाख वेदनाएं मां तुझको सहनी पड़ती है
संतान की जिंदगी सफल बनाने के लिए तुझे अपनी जिंदगी की आहुति देनी पड़ती है
धन्यवाद
ब्लॉगर परिवार
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