Saturday, 9 February 2019

भारतीय समाज और असहिष्णुता?


असहिष्णुता ?

नमस्कार मित्रों।
          
                  एक बार आपका फिर से मेरे ब्लॉग में स्वागत है। पिछले कुछ वर्षों से भारतीय राजनीति को एक नया शब्द मिला है जिसका नाम है :-  असहिष्णुता ? आप सोच रहे होंगे मैं बार बार असहिष्णुता? के पीछे प्रश्नवाचक चिह्न क्यों  लगा रहा हूँ ? चिंता मत कीजिए मेरे ब्लोग पढ़ते रहिये आपके सभी सवालों का जबाब मेरे ब्लॉग मेंं है।

तो आनंदित होने के लिए तैयार हो जाइए 😊
                 भारत में सरकार परिवर्तन के साथ ही  सहिष्णुता वनाम असहिष्णुता की जंग छिड़ गई  तथा इसी के साथ भारत दो गुटों में बंट गया एक तबका जो भारत को  सहिष्णु मानता हैं तथा दूसरा तबका जो भारत को असहिष्णु  मानता है। 

सहिष्णु शब्द  का शाब्दिक अर्थ होता हैै  सहन करना और इसी के विलोम में असहिष्णु शब्द का अर्थ होता हैै सहन ना कर पाना । 

परंतु भारतीय राजनीति में इसका उपयोग धार्मिक आधार पर किया जाता है। असहिष्णुता के समर्थकों का मानना है कि भारत में धर्म के नाम पर असहिष्णुता बढ़ रही है लोग धर्म के नाम पर लोग एक दूसरे को मार रहे हैं और धर्म में भी खासकर हिन्दू धर्म को इंगित करके असहिष्णुता का धब्बा लगाया  जा रहा है इन लोगो का मानना की सम्पूर्ण  हिन्दू समाज असहिष्णु हो गया है और धर्म के नाम पर अल्पसंख्यक धर्म के लोगो की हत्या कर रहा है और इसके चलते कई कलाकारों  जिन्हें ना केवल अल्पसंख्यक समाज द्वारा ही नही  सम्पूर्ण भारत एवं हिन्दू  समाज द्वारा भी बहुत सम्मान दिया  गया है और अब भी दिया जा रहा है  को भारत में रहने से डर लगने लगा है। इन कलाकारों की राजनीतिक 
प्रत्याशाओं को डर का रूप देने की कला को मेरा सलाम।

सर्वप्रथम आमिर खान ने कहा की भारत में माहौल अच्छा नही है और उन्हें भारत में डर लगता है और उनकी पत्नी उन्हें कहती है कि हमें भारत को छोड़ देना चाहिए।
और हाल ही में नाशीरुद्दीन शाह का बयान आया कि उन्हें भारत में डर लगता है की कही कोई उनके बच्चों को रास्ते में मार ना दे और भारत में इंसान की जान से ज्यादा गाय की जान की ज्यादा कीमत है।

और इसके चलते कई साहित्कारों ने अपने सम्मान लौटा दिए।

पर इन सब पर सवाल यह उठतें है कि :-

1. पिछले पांच सालों में ऐसा क्या हो गया जो आज तक देश में कभी नहीं हुआ तो फिर अचानक देश में असहिष्णुता कहा से आ गई।

2. अखलाल और कलबुर्गी की मौत पर अपने पुरुष्कार बापसी करने वाले साहित्यकार तब कहा थे जब 5 लाख कश्मीरी पंडितों को उनके घर से निकाल दिया गया तथा पूरे देश में 10,000 सिक्खों को मार दिया गया तब किसी भी साहित्यकार के आंखों में आंसू नहीं आये। तो अचानक ऐसा क्या हो गया जो पूरा भारतीय समाज असहिष्णु हो गया।

3. मुंबई बम धमाकों में इतने लोग मारे गए तब कलाकारों को डर नही लगा।

4. रोहिंग्या मुसलमानो को बापिस ना भेजा जाए इसलिए आजाद मैदान में तोड़ फोड़ कि गई कई पॉलिस कर्मियों को मार  दिया गया तब डर नहीं लगा तो अचानक ऐसा क्या हो गया......

और यदि देश में हिंसा के आंकड़ों को देखा जाए तो साल दर साल हिंसा के आंकड़े कम होते जा रहे हैं।

Ipsos mori नामक एक संस्था ने 27 देश एवं 20,000 लोगो का सर्वे किया गया जिसके आधार पर कनाडा , चीन  और मलेशिया के बाद भारत का सहिष्णु देशो में चौथा स्थान  आता हैं। 


और अब हिन्दू समाज में सहिष्णुता की बात करें तो:- 

इतिहास से आरंभ करे तो 17-17 बार मोहम्मद गौरी को पृथ्वीराज चौहान ने माफ किआ था .. इससे ज्यादा कोई क्या सहिष्णु हो सकता है।
14-14 बार महमूद गजनवी ने  सोमनाथ मंदिर को तोड़ा था फिर भी मंदिर के पुजारी ने उससे कुछ नही कहा।

और यदि वर्तमान की बात करे तो राजनीति के अलावा कही भी असहिष्णुता नही है......

यदि मैं मेरे खुद के परिवार की बात करूँ तो अब भी मेरे घर पर पहली और आखिरी रोटी पशु के लिए बनती है जिससे जीव मात्र तक भूखा ना रहे।

आज भी शाम होने के बाद हम पेड़ पौधों को हाथ नही लगाते यह मानते हुए की इनमे भी इंसानो की तरह जान है और यह सो रहे होते हैं

अभी भी भारत में गांवो में लोग मिल जुलकर रहते हैं।

जिस प्रकार किसी एक व्यक्ति के बुरे कार्यो की वजह से पूरे परिवार को बुरा नही कह सकते उसी प्रकार कुछ लोगो के गलत इरादों की वजह से पूरे भारतीय समाज एवं हिन्दू धर्म को बुरा , असहिष्णु या निकृष्ट धर्म नही कह सकते ।

भारत एक है इसे एक रहने दो धर्म के आधार पर या अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं  की पूर्ति के लिए इसे मत बांटो ।

भारत देश जो अपनी अहिंसा और सत्य के लिए विश्व भर में विख्यात है.......आज इस निकृष्ट राजनीति से जूझ रहा हैं।

भारत एक सहिष्णु एवं सर्वधर्मसमभाव वाला देश है।

धन्यवाद।

आनंदित भव: 😊






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