यह कविता पूर्णतया मेरे द्वारा लिखित है इसमें भारत की गुलामी से लेकर आजादी तक के कांटो से भरे मार्ग का साधारण शैली में वर्णन किया गया है तथा आजादी के बाद देश की मुख्य समस्याओं का भी संक्षिप्त परिचय दिया गया है
भाग-1
शीर्षक: गुलामी से आजादी तक
सोने की चिड़िया को उन व्यापारियों ने लूटा था
घर में भेदी बैठे थे भारत का कुनबा टूटा था
अपनों के कर कमलों से ही अपनों को मरवाया था
आपस के ही बैर भाव से घमासान करवाया था
मेरठ से लेकर झांसी तक
दिल्ली से लेकर काशी तक
सन् सत्तावन में बिगुल बजा
भारत मां की आजादी का तब ही स्वर्णिम स्वप्न सजा
स्वाभिमान था लाजवाब वे भारत मां की सेवी थी
झांसी वाली रानी जी तो साक्षात् ही देवी थी
कुछ अंगुलियां विकलांग थी बैठी कैसे जंग जीती जाती
सब ने साथ दिया होता यह धरती थपेड़े ना
खाती
मार्ले मिंटो अधिनियम ने धर्म नाम पर बांटा था
भारत की राहों में अब तक सबसे तीखा कांटा था
मानगढ़ से करुणामयी चित्कारें अब भी सता रही
वनवासी को मारा था पहाड़ी रो रो कर बता रही
वंदन की उपजाऊ भूमि कैसे बंजर हो गई
सुसज्जित भारत माता एक अस्थिपंजर हो गई
जालिम जनरल डायर ने जलियांवाला में घाव किए
सोए शेरों के सिर फोड़े, खूनों से लथपथ पावं किए
व्याकुल मन तब रो उठे ह्रदय में गहरे तीर हुए
डायर से बदला चुकता किया यहां ऊधम सिंह से वीर हुए
वतन की खातिर फांसी खायी यह भगत सिंह का देश है
राजगुरु, सुखदेव जी भी हद से ज्यादा विशेष हैं
कथनी करनी में समानता से जगत में ऊंचा नाम किया
देश की सेवा में बापू ने अपना पूरा काम किया
सारी रस्में पूर्ण हुई अब नवजीवन की तैयारी थी
थक गए अंग्रेज भी अब भारत छोड़ो की बारी थी
नाम न जिनका हुआ उजागर असंख्य बलिदान थे
कोने कोने में लड़ने वाले मेरे देश के वीर जवान थे
सांप्रदायिक विभाजन की कुरीति यहां छोड़ गए
चले गए फिर गोरे तो फिर भारत टुकड़ों में तोड़ गए
14 अगस्त की मध्य रात्रि हर आंख में आंसू थे
एक बार फिर से लड़ाया इतने रक्त पिपासु थे
वे (स्वतंत्रता सेनानी) कितने दिनों ना सोए थे
वे खून के आंसू रोए थे
उन वीरों ने धरती मां की जंजीरों को तोड़ा था
टुकड़े-टुकड़े भारत को सरदार जी ने जोड़ा था
भाग-2
शीर्षक:- व्यथा नवीन भारत की
नवयुवकों को काम नहीं
अन्नदाता को दाम नहीं
जादू शीतल सा लगता है युवा भारत के खून का
गला घोंट दिया जाता है गरीब के जुनून का
हत्या की कोई जांच न होती महीनों तक और वर्ष तक
यौन शोषण पीड़ा देता हृदय के स्पर्श तक
देश को खोखला करने के कितने मजबूत इरादे हैं
आपस में कीच उछाल कर नेताजी करते वादे हैं
व्हाट्सएप के वीर लड़ाई स्टेटस पर लड़ते हैं
शौर्य गाथा कौन पढ़े मजाक वतन का पढ़ते हैं
फेसबुक पर नकली चेहरे समय गुजारने का जरिया
विपदाओं के बीच भारत कैसे पार करें दरिया
74 वें स्वतंत्रता दिवस की अग्रिम शुभकामनाओं सहित
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