Sunday, 3 November 2019

भारत आज और कल, समस्याएं और विश्लेषण

नमस्कार ब्लॉगर परिवार
भारत माता आज विभिन्न समस्याओं से गुजर रही है जिनमें से कुछ के बारे में मैं अपने एक मौलिक कविता के माध्यम से बताना चाहूंगा। किसी भी भाषा संबंधी त्रुटि के लिए क्षमा प्रार्थी हूं।


हाथ हाथ को खा रहा यह कैसा कलयुग आया है
उदास है मां भारती आंगन में मातम छाया है
भरमार हो गई हर जगह देखो चांदी के जूतों की
तूती खूब बोलती है अब भ्रष्टाचारी दूतों की
उम्र 3 साल थी कि खबरें रेंप की आ गई अखबारों में
ना सुरक्षित हैं वह खुले आसमान तले और ना सुरक्षित है घर की दीवारों में
ईमानदारी मिट गई, सत्य का गला भर आया है
उदास है मां भारती आंगन में मातम छाया है
हिंदी अबला रह गई,अंग्रेजी सबको भाती है
महक मिट्टी की भूल गए पश्चिम की हवाएं आती है
गाज गिरी है शिक्षा पर,इसे क्यों धंधा बना दिया
पश्चिम का अंधानुकरण,भारत को अंधा बना दिया
जनसंख्या वृद्धि में मानो प्रकाश की चाल है
आज मां भारती के प्रांगण का हाल बेहाल है
आधी जनता हिंदुस्तानी चैन की राह सो नहीं पाती है
अभी भी कुछ गरीबों को दो जून की रोटी भी नसीब हो नहीं पाती है
गरीब गरीब रह गया,अमीर उत्तम से सर्वोत्तम आया है
उदास है मां भारती आंगन में मातम छाया है
रोज लड़ाई होती है अब धर्म,रंगऔर जाति पर
इतने ही वीर पुरुष हैं तो जाकर गोली क्यों ना खाते छाती पर
राह चलते पथिक के मार्ग में क्यों कचरे के ढेर बने फिरते हैं
ऐसा लगता है मानो गली के कुत्ते शेर बने फिरते हैं
कुछ दुष्ट राह बताते हैं उन आताताईयों को
पनाह देते हैं घरों में उन सौतेले भाईयों को
हाथ हाथ को खा रहा यह कैसा कलयुग आया है
उदास है मां भारती आंगन में मातम छाया है

धन्यवाद ब्लॉगर परिवार
भारत मां की सेवा करने का कष्ट करें, इसके हृदय को कष्ट ना दें

जय हिंद जय भारत जय भारतीय वीर जय भारतीय सेना








1 comment:

  1. Thank you for sharing that use-full content. Educational Blogging is Leading Blogging websites for bloggers. Start blogging for education, Submit Guest Post, blogging for educators, & education bloggers.



    Part time online teaching jobs from home in india
    online teaching jobs from home in india

    ReplyDelete