Thursday, 17 October 2019

बेटियों के जीवन पर मंडराते संकट के बादल, कविता राजेन्द्र भारतीय



नमस्कार ब्लॉगर परिवार

मां-बाप की पहचान है बेटियां
भूत,भविष्य और वर्तमान की शान है बेटियां
करना तो बहुत कुछ चाहती है बेटियां पर लोक लाज से डर जाती हैं
कुंठित मन कुंठित रह जाते हैं, खुले दिलों के जीवन में रंग बेटियां लाती हैं
इस सदी में बेटियां परिवर्तन की अलख जगा सकती हैं
अगर ठान ले बेटियां तो सारी रूढ़िवादिताएं भगा सकती है
लक्ष्मी बाई, कालीबाई और हिमा दास से नाम हैं उनके
वीरता, कर्तव्य पालन और देशभक्ति से काम हैं उनके
जो लिखा अभी तक वे खूब सुनहरी बाते हैं
पर यह मत भूलो कि अभी भी करोड़ों ग्रामवासिनी बेटियों के जीवन में दिन में भी काली राते हैं
क्या खूब विडंबना है पग-पग पर उनके जीवन पर संकट छाया है
हर और राक्षस बैठे हैं ,यह कैसा कलयुग आया है
उम्र 3 साल थी की खबरें रेंप की आ गई अखबारों में
ना सुरक्षित है वह खुले आसमान तले और ना सुरक्षित है घर की दीवारों में
शादी आजकल वर पक्ष का एटीएम बन गया है
बेटा चपरासी क्या बना,दहेज ऐसे मांगते हैं मानों पीएम बन गया है
गरीब मां बाप की बेटी दांपत्य जीवन में भी कहां खुश रह पाती है
फंदे से झूलना पड़ता है उसे क्योंकि वह दहेज प्रताड़ना सह नहीं पाती है
तन मन से सोचो तो क्या ये परिस्थितियां कन्या भ्रूण हत्या के लिए मां-बाप को मजबूर नहीं करती
जानो दिल से एक बार कि क्या यह बेटियों के सपनों को चकनाचूर नहीं करती
कामवासना छोड़ो मत लूटो सम्मान तुम नारी का
क्यों जीवन बिगड़ते हो किसी की आशा का और किसी की प्यारी का
अगर ऐसा ही रहा तो मानवता का स्वाभिमान झुक जाएगा
फिर देख लेना यह मानव जीवन रथ रूक जायेगा


महिलाओं का सम्मान करें।

धन्यवाद ब्लॉगर परिवार
जय हिंद जय भारत जय भारतीय वीर जय भारतीय सेना










मेरे शिक्षक मेरी पहचान, मेरी शान- शिक्षक दिवस स्पेशल


नमस्कार ब्लॉगर परिवार


जो सुना न पाया आज तक वह गीत सुनाने आया हूं
जो दिल में गाता है मेरा, वह संगीत सुनाने आया हूं
क्या खूब कहूं यह आपके प्यार की कहानी है
भले ही दुनिया क्यों ना कह दे कि यह मनमानी है
पर यदि मैं वीर था तो अभिनंदन बना दिया आपने
अगर मैं गीत था तो वंदन बना दिया आपने
यदि मैं हल्दी था तो चंदन बना दिया आपने
यदि मै धड़कन था तो स्पंदन बना दिया आपने
परोपकारी झरने हो आप और ज्ञान के सागर हो
आप ही हो साक्षात् प्रभु,आप ही गिरिधर नागर हो
आपकी कृतज्ञता से मुकर जाऊं तो यह सबसे बड़ा पाप है
सच कहूं तो विद्या के इस मंदिर में आप ही मां-बाप है जीत की जंग छेड़ने को आपका एक वाक्य काफी है
कितनी बार टाला आपने और कितनी बार दिया माफ़ी है
सही कहूं तो आप लोहे को सोना बना सकते हो
वह कलाकार हो आप जो अव्यवस्थित मिट्टी को खिलौना बना सकते हो
सारी दुनिया कहती है आप राष्ट्र के निर्माता हो
जी हां सही सुना आप ही भारत भाग्य विधाता हो
अगर यह फूल खिला तो आपके भी गुणगान होंगे
मैं बड़ा बन पाऊं या नहीं हमेशा मेरे लिए महान होंगे
बस यही कहना है मेरा,मैं शांति और चैन पर अमन करता हूं।
मैं राजेन्द्र आप सभी गुरुजनों को नमन करता हूं


धन्यवाद ब्लॉगर परिवार
जय हिंद जय भारत जय भारतीय वीर जय भारतीय सेना