बाल मनोविज्ञान मनोविज्ञान का एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें बालक के सभी आयामों का अध्ययन किया जाता है और बालक के विकास एवं अभिवृद्धि का विशेष रुप से अध्ययन होता है। विकास से तात्पर्य बालक के सामाजिक संवेगात्मक शारीरिक मानसिक आदि क्षेत्रों से है जबकि अभिवृद्धि से तात्पर्य केवल शारीरिक क्षेत्र की वृद्धि है जो परिपक्वता पाकर रुक जाती है परंतु विकास जीवन पर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है विकास कई नियमों एवं सिद्धांतों के आधार पर होता है जिसमें निरंतरता वर्तुल गति निकट से दूर की ओर Adi बालक का विकास शैशवावस्था से लेकर प्रौढ़ावस्था तक चलता रहता है शैशवावस्था के बाद बाल्यावस्था तथा बाल्यावस्था के बाद किशोरावस्था आती है हर अवस्था वृद्धि और विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका रखती है। शैशवावस्था में बालक कई महत्वपूर्ण अवस्था जैसे कि मोरो, रूटिंग, बेबीन्स्की आदि के दौर से गुजरता है।नवजात शिशु का भार 7.15 पौंड व लंबाई लगभग 19-20 इंच होती है।मस्तिष्क का भार 350 ग्राम एवं शारीर में हड्डियों की कुल संख्या 270 होती है। जन्म के समय बालक के दाँत नहीं होते है लेकिन शुरू के 7-8 में दूध के दाँत आना शुरू हो जाते हैं जो कुल 20 होते हैं।...........
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