स्वागत है आप सभी का, जैसा कि आप सभी जानते हैं ऋषि मनीषियों की भूमि भारत 26 जनवरी को प्रति वर्ष अपने गणतंत्र दिवस के रूप में मनाता है इस दिवस को मनाने के इतिहास और वर्तमान के साथ भारतीय सैनिकों की भूमिका उसी प्रकार जुड़ी हुई है जैसे बारात में दूल्हे की अर्थात भारत के वीर जवानों के बिना आजादी की कोई परिभाषा नहीं अतः आज मैं आपके समक्ष भारतीय सैनिक की गाथा का वर्णन करते हुए एक कविता प्रस्तुत करने जा रहा हूं-
छक्के छुड़ा दिए दुश्मन के ना ही शीश झुकाया हूं
मां का आंचल छोड़कर मां तेरी खातिर आया हूं
सात दिवसीय सुहाग की आंखों से पानी आता रहा
मेरी मां पुकार रही मैं उसको यही बताता रहा
युवा बहन की शादी से पहले आने की कह आया
जन्मभूमि तेरे प्यार में जनक से दूर मैं बह आया
थोड़ी फिक्र है मेरी जननी कैसे वियोग सहती होगी
लाल जल्द लौटेगा मेरा मन ही मन कहती होगी
इंच भर जमीन तेरी मेरे प्राणों से प्यारी है
देश प्रेम की भारत माता यह तेरी खेती न्यारी है
मरते दम तक रक्षा करेंगे तेरी आन बान और शान की
वीरता की उपजाऊ भूमि ये धरती हिंदुस्तान की
मोह माया सब छोड़कर तेरा सैनिक मतवाला है
तू धन्य है भारत माता तूने शेरों को पाला है
चाल चली चमगादड़ -सी तो चीन पाक की खैर नहीं
भारत माता की संतानों तुम रखो आपसी बैर नहीं
जवान भारत दुनिया को आंखों में कांटा लगता है
हरकतें छोड़ देता है पड़ोसी जब गाल पर चांटा लगता है
देशभक्ति सांसो में विद्युत सी तेजी से चलती है
तू अमर रहे भारत माता जलने दो जो दुनिया जलती है
धन्यवाद
जय हिंद जय भारत
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ReplyDeleteगूँजे कहीं पर शंख,
कही पे अजाँ हैं,
बाइबिल है, ग्रन्थ साहब है,
गीता का ज्ञान हैं,
दुनिया में कहीं और यह मंजर नसीब नही,
बताओ जमाने को यह हमारा हिन्दुस्तान हैं।
“अनेकता में एकता ,भारत की विशेषता”
72 वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
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अति सुंदर !
DeleteNice
ReplyDeleteRajendra Bhaiya aapki poem bahut sarahniya h.....
ReplyDeleteAapne poem me bahut Barik baato ko sammilit kiya h.
Javano ke tyag ka, unke sangharsh ka or unki bhavnao ka aapne apni poem me varnan kiya h
Bahut khoob....verry nice....