हमारा सुरक्षित आज ही बेहतर कल को जन्म दे सकता है। लेकिन हम ठहरे दानवीर जो व्यर्थ में ही समय का नाश करते हुए स्वयं अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं। दरअसल
प्रयोजनहीन जानवर को पशु की संज्ञा दी जाती है और प्रयोजनहीन मनुष्यों को मानवावतार में पशु की। पशु का दिमाग खाली होता है जो कि शैतानियत का जनक होता है, ऐसी ही शैतानियत वर्तमान समय में हमारे भीतर घर कर चुकी है, जिसे निकालना बहुत जरूरी है वरना इस वतन की संस्कृति और सभ्यता काल के गाल मे समाहित हो जायेगी।
देश का युवा सोशल मीडिया का गुलाम बन बैठा है जो भारत के भविष्य पर खतरे में है। ( उपयोग करो लेकिन अति......)
राजनीतिक रोटियां सेंकने के प्रयोजन से मां भारती के आंचल पर सांप्रदायिकता का कीचड़ उछालने में लोगों को जरा भी हर्ज नहीं....
आपराधिक गतिविधियां प्रकाश की चाल चल रही हैं
महिला सुरक्षा की माली हालत से भला कौन अनभिज्ञ होगा
आतंकवाद पैर पसार के सो रहा है
प्रयोजनहीन जानवर को पशु की संज्ञा दी जाती है और प्रयोजनहीन मनुष्यों को मानवावतार में पशु की। पशु का दिमाग खाली होता है जो कि शैतानियत का जनक होता है, ऐसी ही शैतानियत वर्तमान समय में हमारे भीतर घर कर चुकी है, जिसे निकालना बहुत जरूरी है वरना इस वतन की संस्कृति और सभ्यता काल के गाल मे समाहित हो जायेगी।
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