Wednesday, 18 December 2019

विद्यार्थियों के लिए परीक्षा संबंधी प्रेरणादायक कविता( Motivational Poem)

नमस्कार ब्लॉगर परिवार
आज आपके सामने मैं फिर से परीक्षाओं से संबंधित एक प्रेरणा युक्त स्वरचित कविता लेकर प्रस्तुत हूँ -
Motivational lines-



पहाड़ो को चीर सकते हो यदि तुम ठान लो तो
जंग यह जीत सकते हो, खुद को पहचान लो तो
क्यों यह मान लिया तुमने कि शिक्षा एक मजबूरी है
लड़ाई खुद की खुद से है, जीतना बहुत जरूरी है
रुककर बीच राहों में हाथ ना मलते रहना
कांटे आए या चट्टाने सावधानी से चलते रहना
बहुत होंगे गिराने वाले, तुम आगे बढ़ने का कारण देखो ना
अनमोल है जिंदगी की गेंदे इन्हें व्यर्थ में ना फेंको ना
आसमान छूने वालों को तूफान कभी रोक नहीं पाया है
जो रोज रोता है हालातों को, जान वो झोंक नहीं पाया है
अगर घमंड है किसी को तो हम तोड़ भी सकते हैं
दृढ़ निश्चय कर लिया तो दिशाएं मोड भी सकते हैं
अच्छी करो पढ़ाई तुमको अच्छे नंबर लाना है
अपनी मेहनत से तुमको अब सबका मान बढ़ाना है
जो बन न पाया आज तक,वह इतिहास बनाना है
जान लो,पहचान लो,तुम ठान लो अबके अव्वल आना है
यत्न कुछ यूं करो कि तुम एक अच्छे इंसान बनो
कर्म बड़े करो तुम और देश की शान बनो
जीत का जज्बा हार के डर से ज्यादा रखना है
पश्चिमी हवाओं में नहीं बहना, देश की मर्यादा रखना है

धन्यवाद ब्लॉगर परिवार
आपका शुभेच्छु
Rajendra Indian
जय हिंद जय भारत जय भारतीय वीर जय भारतीय सेना

अलंकार संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी, अभ्यास प्रश्न

नमस्कार ब्लॉगर परिवार आज मैं आप सभी के साथ अलंकार संबंधित एक महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी सांझा करने जा रहा हूं जो किसी भी प्रतियोगी परीक्षा से पहले आप की तैयारियों को जांचने के लिए आधार प्रदान करेगी-
निर्देश :- 1. दी गई पंक्तियों में उपस्थित अलंकार की पहचान कीजिए( एक से अधिक अलंकार उपस्थित होने पर प्रत्येक का विवरण दीजिए तथा उस अलंकार संबंधी पहचान को रेखांकित कीजिए)।
2. आप प्रत्येक प्रश्न का उत्तर देने के लिए स्वतंत्र हैं ,कोई नकारात्मक अंकन नहीं होगा।

प्र.1 दिवसावसान का समय मेघमय,आसमान से उतर रही है, वह संध्या-सुन्दरी परी सी धीर-धीरे-

प्र.2 पापी मनुज भी आज मुख से, राम नाम निकालते

प्र.3 सुवरण को खोजत फिरत कवि व्यभिचारी चोर

प्र.4 पूत कपूत तो क्यों धन संचय, पूत सपूत तो क्यों धन संचय

प्र.5 जलता है ये जीवन पतंग

प्र.6 सजना है मुझे सजना के लिए

प्र.7 सिर फट गया उसका वही मानो अरुण रंग का घड़ा

प्र.8 सोहत ओढ़े पीत पट, श्याम सलोने गात। मनहु नीलमणि शैल पर, आतप परयो प्रभात

प्र.9 हनुमान की पूछं मे लगन न पाई आग ,लंका सारी जल गई गए निसाचर भाग

प्र.10 फिर चहक उठे ये पुंज-पुंज कल- कूजित कर उर का निकुंज चिर सुभग-सुभग

प्र.11 जीवन क्या है? निर्झर है ,मस्ती ही इसका पानी है

प्र.12 मुख बाल-रवि-सम लाल होकर, ज्वाल-सा बोधित हुआ

प्र.13 चिरजीवो जोरी जुरे क्यों न सनेह गंभीर को घटि ये वृष भानुजा ,वे हलधर के बीर

प्र.14 मिटा मोदु मन भए मलीने ,विधि निधि दीन्ह लेत जनु छीने

प्र.15 तो पर वारौं उरबसी सुनि राधिके सुजान तू मोहन के उरबसी ह्वै उरबसी समान

प्र.16 मधुर -मधुर मुसकान मनोहर ,मनुज वेश का उजियारा

प्र.17 छोरटी है गोरटी या चोरटी अहीर की

प्र.18 मन-सागर, मनसा लहरि, बूड़े-बहे अनेक

प्र.19 या अनुरागी चित्त की, गति समुझै नहिं कोय ,ज्यों-ज्यों बूड़ै स्याम रंग, त्यों-त्यों उज्जवल होय

प्र.20 चंचला स्नान कर आए, चंद्रिका पर्व में जैसे ,उस पावन तन की शोभा, आलोक मधुर थी ऐसे

प्र.21 भजन कह्यौ ताते भज्यौ, भज्यौ न एको बार ,दूरि भजन जाते कह्यौ, सो ते भज्यो गॅवार

प्र.22 विदग्ध होके कण धूलि-राशि का,तपे हुए लौह-कणों समान

प्र.23 लट-लटकनि मनु मत्त मधुपगन मादक मदहिं पिए

प्र.24 सिर झुका तूने नियति की मान ली यह बात,स्वयं ही मुझ गया तेरा हृदय-जलजात

प्र.25 मीठी लगै अँखियान लुनाई

 धन्यवाद,शुक्रिया, अभिनंदन, आभार

 जीतना बहुत जरूरी है खुद की खुद से जो लड़ाई है
 लोग तो पहाड़ों को चीर देते हैं, यह तो सिर्फ पढ़ाई है
 काम ऐसा करो कि जीवन का मातम खुशहाली में ढल जाए
 चलते रहो जब तक कि लोगों की गाली,ताली में बदल जाए
 आपका शुभेच्छु
राजेन्द्र भारतीय
 जय हिंद जय भारत जय भारतीय वीर जय भारतीय सेना