Friday, 26 July 2019

वीरता, शौर्य, बलिदान और देशभक्ति की प्रतिमान भारतीय सेना के बारे में कविता

  नमस्कार ब्लॉगर परिवार
कारगिल विजय दिवस के 20 वर्ष पूर्ण होने पर भारतीय वीरों की वीरता को सलाम और ऐसे वीरों को जन्म देने वाली मातृभूमि और उनके माता-पिताओं को प्रणाम

 इस अवसर पर मैं मां भारती के सभी सपूतों को अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं

  आज भारतीय सेना के लिए कुछ स्वरचित पंक्तियां प्रस्तुत है-



ना प्रसिद्धि की  मृगतृष्णा है,ना भौतिकवादिता से लेना देना हैं
स्वतंत्रता की सच्ची प्रहरी भारतीय सेना हैं
एक बार निकल जो पड़े तो फिर आपको कौन रोकता है
आपके खून के उबाल को हर मौसम सलाम ठोकता है
भारतीयों को सुख की नींद सुलाने के लिए आप सदा-सदा सो जाते हो
मातृभूमि की रक्षा के लिए असीम संसार में खो जाते हो,
आसान नहीं है राह आपकी कदम कदम पर शूल है
तिरंगा ना झुके इसके लिए प्राणों की बाजी भी आपको क़ुबूल है
पता नहीं कब रक्षा का बंधन टूट जाए
पता नहीं कब उस साहसी महिला का चूड़ा फूट जाए
हमला एक हुआ तो मां-बाप की सांसे रुक जाती हैं
लेकिन अमर हो जाते हो आप और सम्मान में सारी जनता झुक जाती है
कभी गीत हो आप,कभी वंदन बन जाते हो
कभी वीर हो आप तो कभी अभिनंदन बन जाते हो
काश हर भारतीय में आप जैसा खून बहे
काश हर युवा में मातृभूमि सेवा का आप जैसा जुनून रहे
तो फिर क्या दम है कुछ दानवों की जो पुलवामा जैसा नरसंहार करें
घर में गद्दार ना हो तो भेड़ियों की क्या औकात जो सोए शेरों पर वार करे
'भारतीय' आप की जाति है और 'मानवता' धर्म है
वतन आबाद रहे यही प्रयत्न आपका कर्म है

जय हिंद जय भारत जय भारतीय वीर जय भारतीय सेना

धन्यवाद ब्लॉगर परिवार