Friday, 4 September 2020

शिक्षक दिवस स्पेशल

 नमस्कार दोस्तों

 एक बार फिर से शिक्षा परिदर्शन में आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है।

आज यहां शिक्षक दिवस 5 सितंबर 2020 के अवसर पर सभी आदरणीय शिक्षकों के लिए एक कविता प्रस्तुत है-

परहित कार्य करने का उनका नायाब तरीका है

स्वार्थ से मुक्ति कैसे हो, यह तो उन से ही सीखा है

 गुरु-गाथा से उपजा है यह देश के प्रति प्यार भी 

गुरु के आंगन (विद्यालय) में ही सीखा सामाजिक व्यवहार भी 

अज्ञान के प्रतिषेध में तो वे हमारे नायक हैं 

 शिक्षा के उज्ज्वल गायन में फिर वे ही सबसे बेहतर गायक हैं

 विद्या के विद्युत परिपथ में, गुरु शक्तिप्रदायक है 

 गलतियों से दूर करके बनाते वे ही लायक हैं

 हो पीठ पर हाथ गुरु का, सारा जहाँ जीत जाएं

 गुरु की महिमा वर्णन में लगता है शब्द बीत जाएं

भवसागर की बाधाओं से कैसे पार निकलना है

गुरु के निर्देशों से सीखा गिरना और संभलना है

राष्ट्र निर्माण का कार्यभार भी गुरु के हाथों में रहता है

 गुरु से बढ़कर कोई नहीं है जनजीवन यह कहता है

 डूबती नौका मझधार से सदा गुरुजी खींचते 

बालक रूपी पौधे को वे ज्ञान के जल से सींचते 

तकनीकी के इस युग में भी गुरु का कोई सानी नहीं 

एक नजर से देखते सबको, करते कोई मनमानी नहीं 

मेरा तो यह कहना है कि जीवनभर शीश झुकाऊंगा 

कर्ज़ नहीं चुका सकता पर फर्ज जरूर निभाऊंगा

Rajendra Indian 

जय हिंद जय भारत