आज की शिक्षा , प्राचीन भारतीय शिक्षा के समान नहीं है । शिक्षा में कई नवाचारों के प्रादुर्भाव के कारण वर्तमान शिक्षा अपने आधुनिक रूप में आई है। पर इसका तात्पर्य यह बिल्कुल भी नहीं है कि यह सम्पूर्ण रूप से सही व अंतिम है।
परतंत्र भारत मे लार्ड मैकाले द्वारा पहली बार आधुनिक शिक्षा की नींव रखी । समय समय पर इसमें अनेक परिवर्तन होते रहे।आजादी के बाद भी विभिन्न आयोगों (राधा कृष्णन आयोग , मुदालियार आयोग , कोठारी आयोग ) ने अपनी महती भूमिका निभाई। 1968 की शिक्षा नीति में विभिन्न आयोगों की संभव अनुशंषाओ को शामिल करने का प्रयास किया गया। 1986 की नई शिक्षा नीति के द्वारा शिक्षा को विभिन्न आयामों की ओर विस्तारित किया गया ।अब पुनः शिक्षा नीति में बदलाव के विषय मे गंभीरता से विचार किया जा रहा है।संभव है कि 2017-18 में हम नई शिक्षा नीति के युग मे प्रवेश कर जाए ।यह शिक्षा में क्रांति की नीति के रूप में मानी जा रही है जो न केवल शिक्षा के स्वर्णिम भविष्य को प्राप्त करने में सक्षम होगी अपितु शिक्षा को वर्तमान आवश्यकता को पूरा करने में सक्षम होगी ।
शिक्षा परिदर्शन परिष्कार कॉलेज ऑफ ग्लोबल एक्सीलेंस के शिक्षा विभाग के विद्यार्थियों द्वारा संचालित ब्लॉग है , जिसमें शैक्षिक नवाचार , शैक्षिक समस्या , शिक्षण विधियों - प्रविधियों की उपयोगिता पर सभी अपने विचार साझा करते हैं ।
Thursday, 31 August 2017
Bhartiya Shiksha
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